साहित्य समाज का दर्पण है। यह सत्य है। समाज से प्राप्त अनुभव ही कहानी, कविता, गद्य लेखन आदि में अभिव्यक्त होकर साहित्य बन जाते हैं। कुछ विशेष घटनाओं की घनीभूत अनुभूतियां ही संवेदनशील हृदय से कविता रूप में बह निकलती है। समाज में उनका स्थान स्वयं सामाजिक जन निष्चित करते हैं। साहित्य ने आदमी को इन्सान बनाया है। साहित्य मानव मन में राष्ट्र प्रेम, द्वेष के प्रति कर्तव्य बोध, समाज सेवा, मानव प्रेम, स्नेह, सौहार्द आदि भावनाएं जागृत कर मानव को, जीवन की ऊंचाइयों की ओर ले जाता है। इन्हीं भावनाओं की अभिव्यक्ति इस संग्रह की कविताओं में हुई है। इस काव्य संकलन को पढ़कर यदि इनमें से एक भी भावना, साहित्य प्रेमियों को उद्वेलित करती है, मानवता की ओर पग बढ़ाने की प्रेरणा देती है तो लिखने का यह प्रयास सार्थक होगा, ऐसा मेरा विष्वास है। इन्सान बनना ही जीवन का एकमात्र उद्देश्य है, ऐसी मेरी मान्यता है। मैं भी जो समाज से प्राप्त हुआ, काव्य-संकलन के रूप में लौटा रही हूं। साहित्य प्रेमी इसमें अपनी प्रतिच्छाया, समाज का प्रतिबिंब अथवा अपनी भावनाओं को साकार पायें, यही अभिलाशा है।
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